पेडियाट्रिक्स जर्नल के एक प्रकाशित अध्ययन से यह बात साफ़ हुई है की अमेरिका में दो ट्रांसजेंडर महिलाओं के ऐसे मामले सामने आये है की उनमे व्यवहार्य शुक्राणु पैदा करने की क्षमता बताई गयी हैं।दोनों महिलाओं का कहना है की उनकी यौवन की दवा शुक्राणु पैदा करने में सक्षम थी , पर दूसरी ट्रांसजेंडर मरीज जो की हार्मोन थेरेपी में होने के कारण शुक्राणु पैदा कर नहीं पाई |
वीजेएस ट्रांसजेंडर क्लिनिक के सीनियर डॉक्टर सी.विजय कुमार का कहना है कि कई ट्रांसजेंडर पुरुष और महिलाये संक्रमण के रूप में हार्मोन थेरेपी लेते है, जिसका उपचार होने में काफी लंबा समय लगता है क्योंकि चिकित्सक इस दौरान बार-बार सुनिश्चित होना पड़ता है, इसमें दो प्रकार की दवा का चिकत्सा के लिए उपयोग होता है जो ट्रांसजेंडर की परिवर्तन प्रक्रिया में प्रयोग किया जाता है |
एक आंकड़ों यह भी से पता चला है कि ट्रांसजेंडर में प्रजनन परिणामों के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं होती, परन्तु लिंग पुष्टि चिकित्सा के लिए आगे के अध्ययन के लिए अधिक गहन जानकारी की आवश्यकता होती है, जिससे उन रोगियों को काफी मदद मिलती है जो भविष्य में जैविक बच्चे चाहते हैं।
ट्रांसजेंडर मरीजों को डॉक्टर्स तक पहुँचने में काफी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को अपना मुख्य ध्यान उन लोगों की ओर केंद्रित करना चाहिए, जिन्हे काफी लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। साथ ही यह ट्रांसजेंडरों के लिए सामाजिक और मनोवैज्ञानिक में माने गए कलंक जैसे शब्द को कम करें।
अगर इससे जुड़ी कोई भी जानकारी या फिर सलाह लेना चाहते हो तो आप वीजेएस ट्रांसजेंडर क्लिनिक का चयन कर सकते है |