बच्चों के ट्रांसजेंडर होने के 5 शुरुआती संकेत, अपने बच्चे की ऐसे करें पहचान

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    क्या आपको भी ऐसा लगता है, कि आपका बच्चा कहीं ट्रांसजेंडर तो नहीं है? क्या उसके व्यवहार या फिर हावभाव में कुछ बदलाव तो नहीं नज़र आ रहे? क्या इस तरह के सवाल आपके मन में भी उठते हैं, अगर इस बात पर आपका जवाब हां है, तो तो यह लेख आपके लिए काफी ज्यादा लाभदायक साबित हो सकता है। आमतौर पर कई बार बच्चे, चाहे वह बेटा हो या फिर बेटी, अगर वह विपरीत लिंग वाली गतिविधियों में ज्यादातर अपनी रुचि को दिखाते हैं, तो आपको इसके बारे में सोच विचार करना चाहिए। हालांकि आपको इसके बारे में बता दें, कि यह जरूरी नहीं कि ऐसे संकेत हमेशा ट्रांसजेंडर होने की ओर ही इशारा करें। वास्तव में हम आपको यहां कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आप पता कर सकते हैं, कि आपका बच्चा ट्रांसजेंडर है, या फिर नहीं। तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। 

    बच्चों के ट्रांसजेंडर होने के 5 शुरुआती संकेत

    1. पेशाब करने का तरीका 

    दरअसल माता- पिता के लिए इस बात को समझना थोड़ा सा कठिन होता है, कि उनका बच्चा अपने लिंग की बजाए दूसरे लिंग के टॉयलेट को क्यों इस्तेमाल करना चाहता है? जैसे जब कोई लड़का पुरुषों की बजाय महिलाओं का टॉयलेट इस्तेमाल करना पसंद करता है। आमतौर पर यह एक तरीके का संकेत हो सकता है, जिसकी मदद से आप यह समझ सकते हैं, कि आपका बच्चा असलियत में ट्रांसजेंडर है। आपको बता दें कि अगर आपका बच्चा आपको कहे कि वो उस टॉयलेट का उपयोग करने में बिलकुल भी आरामदायक नहीं है। वास्तव में जहां उसके माता-पिता चाहते थे कि वह इस्तेमाल करें और अगर इसकी वजह से ही उसके कपड़े गंदे हो जाएं, तो उस दौरान आपको उस बात को समझने में बिलकुल भी देरी नहीं करनी चाहिए। 

    2. कपड़ों की प्राथमिकता 

    आपको बता दें कि एक माता-पिता के लिए बच्चों को उनके बचपन में उनकी मन मर्जी के हिसाब से ड्रेस अप करवाना एक आम सी बात होती है। आमतौर पर, लेकिन जैसे-जैसे वह बच्चे बड़े होते हैं, वह अपनी पसंद के ड्रेस कोड खुद ही तय करते हैं। दरअसल आपको उनके ड्रेस कोड की तरफ ध्यान देने की काफी ज्यादा जरूरत होती है। ख़ास करके उस स्थिति में जब आपको अगर एक लड़की कहे, कि उस को लड़कियों के जैसा ड्रेसअप करने में कोई भी दिलचस्‍पी नहीं है और इसके साथ ही लड़को को चटकीले और पिंक रंग या फिर इस रंग की कोई भी चीज उनको अकर्षित्त करने लगे 

    3. उनका बातचीत का तरीका  

    दरअसल इन सब के अलावा आप अपने बच्चे के बात चीत करने के तरीके से भी इस बात का पता लगा सकते हैं। आपको बता दें, कि इस दौरान आपको इस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि आपका बच्चा बोलते समय कौन सी क्रियाओं का इस्तेमाल कर रहा है। आमतौर पर उदाहरण के लिए, एक ट्रांसजेंडर बच्चा अक्सर इस बात को कहना पसंद करता है, कि “मैं एक लड़की हूं”, यह कहने की बजाए, वह कहता है, कि “काश मैं एक लड़की होती।”

    4. समान जेंडर में दिलचस्पी न होना 

    हालांकि बचपन में लड़कियों का ट्रक्‍स और बस के साथ और इसके अलावा लड़कों का गुडि़यों के साथ खेलना एक आम सी बात होती है। पर आपको बता दें कि इस दौरान खेलते समय आपके बच्चे की गतिविधियां काफी ज्यादा मायने रखती हैं। वास्तव में, आपको इस तरह की स्थिति के दौरान इस बात पर ध्यान देने की काफी ज्यादा जरूरत है, कि क्या वो अपने जेंडर एक्टिविटीज को लेकर किसी भी तरह की दिलचस्पी को दिखाते है, या फिर नहीं। आमतौर पर उदाहरण के ल‍िए, कोई भी लड़का गुडि़यों के साथ खेलते हुए अगर लड़कियों के जैसी हरकतों को करता है, जैसे कि उस गुड़िया का मेकअप करना और साथ ही उस गुड़िया को हमेशा अपने पास लेकर सोना। 

    5. अपने जननांगों से खुश न हों  

    आमतौर पर डॉक्टरों की माने तो, जो बच्‍चें अपने जननांगों को लेकर चिढ़चिढ़े से रहते हैं, और साथ ही रोजाना नाखुश नजर से आते हैं, तो इस बात का यह साफ़ मतलब होता है, कि वो अपने जेंडर से बिलकुल भी खुश नहीं हैं।

    हर बच्चे के लिए उसका परिवार ही उसकी पहली और पूरी दुनिया होती है। अपनी पहचान और भावनाओं की वजह से हर बच्चा अनोखा होता है। अगर आपको अपने बच्चे में इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, जो इस बात को बताते हैं, कि वह अपने जेंडर को लेकर काफी ज्यादा अलग महसूस करते हैं, तो इस तरह की स्थिति को एक समस्या समझने की बजाए, इस को उसकी असली पहचान मानें। माता-पिता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, कि वह इस दौरान अपने बच्चे को डाँटने या फिर उसको यह सब करने से रोकने के बजाय, उस को समझे, उसका साथ दें, उसको एक सुरक्षित माहौल दें और साथ ही उसको स्वीकार करें, ताकि वह अपनी जिंदगी को आत्मविश्वास के साथ जी सके। दरअसल ट्रांसजेंडर होना कोई कमी या फिर कोई समस्या नहीं है, बल्कि उस बच्चे की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ट्रांसजेंडर बच्चे समाज में कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हुए पाए जाते हैं, परिवार के प्यार और सहयोग की वजह से बच्चा समाज की हर चुनौती का सामना डटकर कर सकता है। 

    निष्कर्ष

    हालांकि बच्‍चों में ट्रांसजेंडर होने के संकेतों की पहचान करना  माता-पिता और डॉक्टर दोनों के लिए अहम होता है। सबसे पहले यह समझना बहुत जरूरी है, कि जेंडर आइडेंटिटी कोई बीमारी नहीं, बल्कि यह बच्चे के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास का एक प्राकृतिक हिस्सा है। अगर कोई बच्चा अपने जेंडर को लेकर हमेशा उलझन में रहता है, या फिर अपने से विपरीत जेंडर से काफी ज्यादा जुड़ा हुआ महसूस करता है, तो इस तरह की स्थिति को बिलकुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाइये, इसके बारे में किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ या फिर किसी काउंसलर से सलाह लेना काफी ज्यादा लाभदायक होता है। अगर आपको भी इस के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी है, या फिर आप इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लेना चाहते हैं, तो आप आज ही वीजेएस ट्रांसजेंडर क्लीनिक में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।