हिस्टेरेक्टॉमी का मतलब गर्भाशय को बच्चेदानी के माध्यम से निकालना होता है। आपको बता दें, कि यह एक प्रकार की सर्जरी है, जिसमें एक महिला की बच्चेदानी को आंशिक या पुरे तरीके से निकाल दिया जाता है। आम तौर पर, यह सर्जरी तब की जाती है, जब किसी महिला को बच्चेदानी से जुड़ी कोई गंभीर समस्या होती है। उदाहरण के लिए, गर्भावस्था के दौरान उसे बार-बार दर्द की समस्या होना, काफी ज्यादा रक्तस्राव होना, या फाइब्रॉएड या कैंसर जैसी कोई गंभीर समस्या का होना। दूसरी तरफ इस सर्जरी को ट्रांसजेंडरों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
आम तौर पर, कुछ स्थितियों में, तो सर्जरी के दौरान अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को भी निकाला जा सकता है। इस तरह की सर्जरी के बाद औरत मां नहीं बन सकती है। तो आइए इस लेख के माध्यम से डॉक्टर से इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं कि हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी क्या है और इसे क्यों किया जाता है और साथ ही, इसके प्रकार क्या हैं और इसे कैसे किया जाता है?
हिस्टेरेक्टॉमी क्या है?
असल में, हिस्टेरेक्टॉमी का अर्थ, एक औरत की बच्चेदानी को सर्जरी के माध्यम से निकलना होता है। आम तौर पर, यह एक महिला की जिंदगी का सबसे बड़ा और एक अहम फैसला होता है, क्योंकि, इस सर्जरी को करवाने के बाद महिला को पीरियड्स बिलकुल भी नहीं आते हैं और वह इस के बाद माँ नहीं बन पाती है। इस सर्जरी को तब किया जाता है, जब किसी महिला की बच्चेदानी से जुड़ी गंभीर समस्या का कोई और इलाज कारगर नहीं होता है। इसके साथ ही, वह महिलाएं जो अपना जेंडर बदलवाने की इच्छा रखती हैं, जैसे एक महिला से पुरुष बनना, इसके लिए हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी की जाती है।
असल में, यह प्रक्रिया कुछ महिलाओं के लिए उनका जीवन बचाने वाली हो सकती है। जबकि, कुछ महिलाओं के लिए यह मानसिक और शारीरिक रूप दोनो से चुनौती भरी हो सकती है। इसलिए इस सर्जरी का फैसला बहुत ही सोच समझ के लेना चाहिए और इस दौरान, डॉक्टर से सही सलाह प्राप्त करना बहुत जरूरी होता है।
हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी के प्रकार
आपको बता दें, कि हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी के कई प्रकार होते हैं, जो आमतौर पर, एक महिला की चिकित्सीय जरूरतों और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार की जाती है। दरअसल, इस के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं:
1. आंशिक हिस्टेरेक्टॉमी : इस प्रक्रिया में बच्चेदानी के ऊपर का हिस्सा निकाल दिया जाता है, पर इस दौरान, गर्भाशय ग्रीवा को छोड़ दिया जाता है।
2. पूर्ण हिस्टेरेक्टॉमी : सर्जरी के इस प्रकार में, महिला की बच्चेदानी और गर्भाशय ग्रीवा दोनों को ही निकाल दिया जाता है
3. रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी : आम तोर पर, यह कैंसर जैसे ज्यादा गंभीर मामलों में की जाती है। सर्जरी के इस प्रकार में गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और आसपास के ऊतक और साथ में कई स्थितिओं में फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय को भी निकाल दिया जाता है।
हिस्टेरेक्टॉमी क्यों की जाती है?
1. जैसे कि हमने आपको पहले ही इसके बारे में बताया है, कि हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी तब की जाती है, जब किसी औरत के गर्भाशय से जुड़ी गंभीर समस्याएं किसी और इलाज की सहायता से बिल्कुल भी ठीक नहीं होती हैं।
2. इसके अलावा, यह सर्जरी ट्रांसजेंडर्स के लिए भी की जाती है, जो आम तौर पर महिला से पुरुष बनना चाहते हैं। इसलिए इस दौरान हिस्टेरेक्टॉमी के ज़रिए उनका गर्भाशय निकाल दिया जाता है और इस सर्जरी के ज़रिए उन्हें महिला से पुरुष में बदलने में मदद की जाती है।
हिस्टेरेक्टॉमी के तरीके
1. एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी : सर्जरी के इस तरीके में पेट पर चीरा लगाकर गर्भाशय को निकाल दिया जाता है। इस तरीके का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब गर्भाशय बड़ा हो या फिर कैंसर का शक हो।
2. वेजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी : हिस्टेरेक्टॉमी के इस तरीके में बिना चीरा लगाए, योनि के माध्यम से गर्भाशय को निकाल दिया जाता है।
निष्कर्ष:
हिस्टेरेक्टॉमी में गर्भाशय को सर्जरी के माध्यम से निकाल दिया जाता है। हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी तब की जाती है, जब किसी औरत के गर्भाशय से जुड़ी गंभीर समस्याएं किसी और इलाज की सहायता से बिल्कुल भी ठीक नहीं होती हैं। दूसरी तरफ़ यह सर्जरी ट्रांसजेंडर्स के लिए कि जाती है, जिनकी इस सर्जरी के माध्यम से बच्चे दानी को निकाल दिया जाता है और उनको महिला से पुरुष बनने में मदद की जाती है। सर्जरी को करवाने के बाद पीरियड आने बंद हो जाते हैं और वह मां नहीं बन पाती है। अगर आपको इस विषय पर और जानकारी प्राप्त करनी है, या फिर हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी को करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही वीजेस ट्रांसजेंडर क्लिनिक में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |