सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया मानी जाती है। जेंडर चेंज कराने के इस ऑपरेशन के कई लेवल होते हैं, और ये प्रक्रिया काफी लंबे समय तक चलती है,फीमेल से मेल बनने के लिए कम से कम 32 तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। ये प्रकिरिया मुशिकल और खर्चीली भी होती है, इसके लिए पहले मरीज को मानसिक तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी होता है। कई बार ऐसे लोग अपने परिवार और समाज के दबाव में आकर इस फैसले तक पहुंच ही नहीं पाते हैं और पीछे हट जाते हैं, जो भी वियक्ति ये फैसला ले लेता उसको अपनी मानसिक स्थिति को बोहत ज्यादा मजबूत रखना पड़ता है।
क्या कहता है कानून -जेंडर चेंज क़ानूनी प्रकिरिया :
देश में आम नागरिकों के जेंडर चेंज के लिए कोई कानून बाध्यता नहीं है, लेकिन ऐसा करने वाले का बालिग होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। कोई भी वयक्ति अपनी इच्छा अनुसार जेंडर चेंज करा सकता है, लेकिन इसके लिए उसके सरकारी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट में अपनी नई पहचान साबित करने के लिए उसे कई प्रक्रियाओं से गुजना पड़ता है, मरीज़ अगर पुरुष से महिला बनना चाहता है, तो उसको अपने आधार कार्ड में लिंग बदलवाना पड़ेगा, उसके लिए उसको कुछ मेडिकल डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता पड़ती है,एक बार आधार कार्ड पर लिंग बदल जाने के बाद वह दुबारा से अपना जेंडर नहीं बदल सकता।
जीन के आधार पर किया जाता है इलाज
जो भी मरीज़ अपना जेंडर बदलवाता है, उसकी पहचान को पूरी तरीके से गुप्त रखा जाता है। इलाज के दौरान डॉक्टर बताते हैं की सबसे पहले ट्रांसजेंडर हार्मोन की जांच की जाती है, इसके दौरान ये पता लगाया जाता है की उसमें किस हार्मोन की कमी और किसकी मात्रा ज्यादा है, उसके जीन के आधार पर तय किया जाता है की मरीज को हार्मोनल थेरेपी दी जाएगी या फिर सर्जरी की जाएगी। कई डॉक्टरों ने बताया है की काफी लोगों ने अपना जेंडर चेंज करवाया है, और वह सफलतापूर्वक हुआ है, और वह सर्जरी के बाद से वह अपनी नार्मल जिंदगी को जी रहे हैं।
जेंडर चेंज आंकड़ा
वह लोग जिनकी शारीरिक बनावट लड़के की तरह होती है, लेकिन उनके चाल- चलन लड़की जैसे होते हैं और उनका आकर्षण भी लड़कों के प्रति होता है , वह जटिल मेडिकल प्रक्रिया से गुजरते हुए अपने जेंडर को चेंज करवाते हैं, और एक अकड़े के अनुसार दुनियाभर में हर साल करीबन 5 हजार लोग अपना जेंडर चेंज कराते हैं।
ऐसे होती है सर्जरी
एक्सपर्ट के मुताबिक अगर कोई भी ट्रांसजेंडर लड़की की तरह है और सका प्राइवेट पार्ट लड़को की तरह होता है लेकिन वह लड़की बनने की चाह रखता है, तो उसके प्राइवेट पार्ट को हटा दिया जाता है, इसके दौरान प्लास्टिक सर्जरी से आंत के टुकड़े और चमड़ी से प्राइवेट पार्ट को तैयार किया जाता है। और ऐसे ही अगर कोई लड़की पुरुष बनना बनना चाहती है,इसके दौरान यूट्रस और अंडाशय हटा दिया जाता है, और महिलाओं में क्लाइटोरेस अंग होता है, जिसको विकसित कर पुरुष के प्राइवेट पार्ट जैसा रूप दे दिया जाता है।
बच्चों में इस तरह से पता चल जाती है परेशानी
ऐक्सपर्ट की मने तो आम तोर पर 10-12 साल से लेकर 18-20 साल तक की उम्र में ये लक्षण दिखाई देना शुरू होते हैं। यही उम्र हैं जिसमें लड़कियों में हार्मोंस बढ़ने शुरू होते हैं, साथ ही जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो उसे इस चीज की समझ हो जाती है, उसको महसूस होता है की उसमें किसी चीज की कमी है। ऐक्सपर्ट के मुताबिक बाकि देशों में ऐसी समस्याएं कम उम्र में ही दिखने लग जाती हैं।
हार्मोन की अधिकता व कमी होना
हार्मोन्स का ज़्यादा मात्रा में होना और हार्मोन्स की कमी के कारन यह बदलाव आता है एक अध्ययन के अनुसार पता चला है की पुरुषों में टेस्टोस्ट्रॉन हार्मोन की कमी के कारन वह लड़किओं की तरह व्यवहार करते हैं, ऐसे ही दूसरी तरफ़ जब महिलाओं में एस्ट्रोजेन की कमी हो जाती है तो फिर टेस्टोस्ट्रॉन हार्मोन कीकी मात्रा ज्यादा हो जाती है, जिससे वह पुरषों की तरह व्यवहार करती हैं। उसके बाद हार्मोन के सैंपल लिए जाते हैं और उनका टेस्ट किया जाता है।
सर्जरी से पहले हार्मोनल थेरेपी :
एक्सपर्ट के मुताबिक जब हार्मोंस के सैंपल की जांच हो जाती है, तो उसके बाद यह पता किया जाता है की उनमें महिला के गुण अधिक हैं या पुरुष के उसके बाद ही उनको हार्मोनल थेरेपी दी जाती है। अगर इसके बाद भी इनमें कोई सुधार नज़र नहीं आता तो इनकी सर्जरी की जाती है। बच्चों की सर्जरी पीडियाट्रिक और युवाओं की यूरोलॉजी में की जाती है। इसके बाद ही उनका जेंडर निर्धारित होता है, वह पुरुष या महिला बनते हैं। जिससे की वह आम लोगों की तरह जिंदगी को जीते हैं।
सर्जरी से पहले देखी जाती है मानसिक स्थिति :
डॉक्टर के मुताबिक बच्चे का पालन पोषण कैसे हुआ है ये भी देखा जाता है, अगर उसका पालन पोसन एक लड़के की तरह किया गया हो तो उसका मानसिक विकास भी उसी तरह होगा। ऐसे में सर्जरी के दौरान ये ध्यान रखा जाता है की वह किस सिथिति में आराम महसूस कर रहा है। सर्जरी के बाद वह आरामदायक महसूस करता है तो सर्जरी सफल हो जाती है। बिलकुल इसी तरिके से लड़की को देखा जाता है। इस तरीके की सर्जरी में ये बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, बच्चे का मानसिक विकास देखना।
निष्कर्ष :
जेंडर चेंज करवाना शर्मनाक बात नहीं होती। अगर आप भी अपना जेंडर चेंज या इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो वी.जे ट्रांसजेंडर क्लीनिक जाकर आप अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करें और इसके एक्सपर्ट से बात करें।